*कहमुकरी* साहित्यिक परिपेक्ष में:-
हिंदी किंवा संस्कृत साहित्य में अर्थचमत्कृति के अन्तर्गत दो अलंकार विशेष रूप से प्रयुक्त होते हैं,, पहला श्लेष व दूसरा छेकापहृति,, श्लेष में कहने वाला अलग अर्थ में कहता है व सुनने वाला उसका अलग अर्थ ग्रहण करता है,, पर छेकापहृति में प्रस्तुत को अस्वीकार व अप्रस्तुत को स्वीकार करवाया जाता है,,
कहमुकरीविधा छेकापहृति अलंकार का अनुपम उदाहरण है,, आईये देखते हैं एक उदाहरण:-
वा बिन रात न नीकी लागे
वा देखें हिय प्रीत ज जागे
अद्भुत करता वो छल छंदा
क्या सखि साजन? ना री चंदा
यहाँ प्रथम तीन पंक्तियां स्पष्ट रूप से साजन को प्रस्तुत कर रही है,, पर चौथी पंक्ति में उस प्रस्तुत को अस्वीकृत कर अप्रस्तुत (चंद्रमा) को स्वीकृत किया गया है,, यही इस विधा की विशेषता व काव्यसौंदर्य है।
वैयाकरणी दृष्टि से यह बड़ा सरल छंद है,, मूल रूप से इसके दो विधान प्रचलित है,, प्रति चरण 16 मात्रायें, चार चरण व प्रति चरण 15 मात्रायें चार चरण,
गेयता अधिकाधिक द्विकल के प्रयोग से स्पष्ट होती है इस छंद में,, इस लिए इसके वाचिक मात्राविन्यास निम्न हैं:-
या तो 22 22 22 22
या 22 22 22 21
इसके चार चरणों में दो दो चरण समतुकांत रखने की परिपाटी है।
इस विधा में एक प्रश्न बहुत बार उठता है कि,, क्या सखि साजन,,, यहाँ,, साजन, के स्थान पर अन्य शब्द प्रयोज्य है या नहीं? कुछ विद्वान इसका निषेध करते हैं व कुछ इसे ग्राह्य मानते है।
इसे पनघट पर जल भरती सखियों की चूहलबाजियों से उत्पन्न विधा माना गया है,, इसलिए स्वाभाविक रूप से,, साजन,, शब्द के प्रति पूर्वाग्रह,, समझ में आता है, इस विवाद को दूर करने के लिए व इसमें नवाचार को मान्यता देने के लिए, आजकल *नवकहमुकरी* शब्द भी काम में लिया जाता है,, जिसमें,, साजन,, के स्थान पर कोई अन्य शब्द प्रयुक्त हो,,
बहुत ही सरस व मनोरंजक विधा है,, जिसमें कवि का भावविलास व कथ्य चातुर्य अनुपम रूप से उजागर होता है,,
आईये कुछ उदाहरण और देखें
(नवकहमुकरी)
पहले पहल जिया घबरावे
का करना कछु समझ न आवे
धीरे धीरे उसमे खोई
का सखि शय्या? अरी! रसोई
(कहमुकरी)
हर पल साथ, नजर ना आवे
मन में झलक दिखा छिप जावे
ऐसे अद्भुत हैं वो कंता
ऐ सखि साजन? ना भगवंता
सादर समीक्षार्थ व अभ्यासार्थ:-
जय गोविंद शर्मा
लोसल
जय सा आपने इस लुप्त प्राय विधा को शास्त्रीय विवेचन के साथ बहुत ही सुंदर ढंग से समझा कर प्रस्तुत किया है। इस रोचक विधा में रुचि रखने वालों के लिए संग्रहणीय आलेख।
ReplyDelete👏👏😃👏👏
आपने बहुत अच्छी पोस्ट लिखी है. ऐसे ही आप अपनी कलम को चलाते रहे. Ankit Badigar की तरफ से धन्यवाद.
ReplyDeleteब्लॉग के किसी पोस्ट से संबधित यदि आपकी स्वरचित कोई रचना हो तो उसे उस पोस्ट के कामेंट में प्रेषित कर दें। उसे ब्लॉग में डालने में हमें प्रसन्नता होगी। ब्लॉग रुचिकर लगा तो ब्लॉग follow अवश्य करें।
ReplyDelete