Wednesday, May 12, 2021

मनहरण घनाक्षरी "राहुल पर व्यंग"

मनहरण घनाक्षरी

राजनायिकों के गले, मोदी का लगाना देख,
राहुल तिहारी नींद, उड़ने क्यों लगी है।

हाथ मिला हाथ झाड़, लेने की तिहारी रीत,
रीत गले लगाने की, यहाँ मन पगी है।

देश की परंपरा का, उपहास करो नित,
और आज तक किन्ही, बस महा ठगी है।

दुनिया से भाईचारा, कैसे है निभाया जाता,
तुझे क्या, तेरी तो बस, इटली ही सगी है।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
15-01-18

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