(1)
आधुनिकता का
है बोलबाला
सब कुछ होता जा रहा
छोटा और छोटा
केश और वेशभूषा
घर का अँगना
और मन का कोना।
**
क्षणिका (नई पीढ़ी)
(2)
निर्विकार शांत मुद्रा में
चक्की चला आटा पीसती
मेरी दादी जी का
तेल-चित्र
जो दादा जी ने
शायद अपनी जवानी में
बड़े शौक से
बनवाया था----
वो आज भी
घर की धरोहरों मेंं
संजोया पड़ा है
नवीन पीढ़ी को
म्यूजियम में
खींचता हुआ।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
20-05-17
आधुनिकता का
है बोलबाला
सब कुछ होता जा रहा
छोटा और छोटा
केश और वेशभूषा
घर का अँगना
और मन का कोना।
**
क्षणिका (नई पीढ़ी)
(2)
निर्विकार शांत मुद्रा में
चक्की चला आटा पीसती
मेरी दादी जी का
तेल-चित्र
जो दादा जी ने
शायद अपनी जवानी में
बड़े शौक से
बनवाया था----
वो आज भी
घर की धरोहरों मेंं
संजोया पड़ा है
नवीन पीढ़ी को
म्यूजियम में
खींचता हुआ।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
20-05-17
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