Saturday, December 21, 2019

मनहरण घनाक्षरी "गीत ऐसे गाइए"

माटी की महक लिए, रीत की चहक लिए,
प्रीत की दहक लिए, भाव को उभारिए।

छातियाँ धड़क उठें, हड्डियाँ कड़क उठें,
बाजुवें फड़क उठें, वीर-रस राचिए।

दिलों में निवास करें, तम का उजास करें,
देश का विकास करें, मन में ये धारिए।

भारती की आन बान, का हो हरदम भान,
विश्व में दे पहचान, गीत ऐसे गाइए।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
12-05-17

3 comments:

  1. मैंने अभी आपका ब्लॉग पढ़ा है, यह बहुत ही शानदार है।
    मैं भी ब्लॉगर हूँ
    मेरे ब्लॉग पर जाने के लिए
    यहां क्लिक करें:- आजादी हमको मिली नहीं, हमने पाया बंटवारा है !

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