माटी की महक लिए, रीत की चहक लिए,
प्रीत की दहक लिए, भाव को उभारिए।
छातियाँ धड़क उठें, हड्डियाँ कड़क उठें,
बाजुवें फड़क उठें, वीर-रस राचिए।
दिलों में निवास करें, तम का उजास करें,
देश का विकास करें, मन में ये धारिए।
भारती की आन बान, का हो हरदम भान,
विश्व में दे पहचान, गीत ऐसे गाइए।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
12-05-17
प्रीत की दहक लिए, भाव को उभारिए।
छातियाँ धड़क उठें, हड्डियाँ कड़क उठें,
बाजुवें फड़क उठें, वीर-रस राचिए।
दिलों में निवास करें, तम का उजास करें,
देश का विकास करें, मन में ये धारिए।
भारती की आन बान, का हो हरदम भान,
विश्व में दे पहचान, गीत ऐसे गाइए।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
12-05-17
मैंने अभी आपका ब्लॉग पढ़ा है, यह बहुत ही शानदार है।
ReplyDeleteमैं भी ब्लॉगर हूँ
मेरे ब्लॉग पर जाने के लिए
यहां क्लिक करें:- आजादी हमको मिली नहीं, हमने पाया बंटवारा है !
अति उत्तम
ReplyDeleteधन्यवाद
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