सीपी में आँखों की,
मौक्तिक चंदा भर,
भेंट मिली पाँखों की।
नव पंख लगा उड़ती
सपनों के नभ में,
प्रियतम से मैं जुड़ती।
तारक-चूनर ओढ़ी,
रजनी की मोहक,
चल दी साजन-ड्योढ़ी।
बादल नभ में छाये,
ढ़क लें चंदा को,
फिर झट मुँह दिखलाये।
आँख मिचौली करता,
चन्द्र लगे ज्यों पिय,
प्रेम-ठिठौली करता।
सूनी जीवन-बगिया,
तन के पंजर में
कैद पड़ी मन-चिड़िया।
रातें छत पर कटती,
और चकोरी ये,
व्याकुल पिउ पिउ रटती।
तकती नभ को रहती,
निर्मोही पिय की
विरह-व्यथा सहती।
**************
प्रथम और तृतीय पंक्ति तुकांत (222222)
द्वितीय पंक्ति अतुकांत (22222)
**************
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
20-06-19
मौक्तिक चंदा भर,
भेंट मिली पाँखों की।
नव पंख लगा उड़ती
सपनों के नभ में,
प्रियतम से मैं जुड़ती।
तारक-चूनर ओढ़ी,
रजनी की मोहक,
चल दी साजन-ड्योढ़ी।
बादल नभ में छाये,
ढ़क लें चंदा को,
फिर झट मुँह दिखलाये।
आँख मिचौली करता,
चन्द्र लगे ज्यों पिय,
प्रेम-ठिठौली करता।
सूनी जीवन-बगिया,
तन के पंजर में
कैद पड़ी मन-चिड़िया।
रातें छत पर कटती,
और चकोरी ये,
व्याकुल पिउ पिउ रटती।
तकती नभ को रहती,
निर्मोही पिय की
विरह-व्यथा सहती।
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प्रथम और तृतीय पंक्ति तुकांत (222222)
द्वितीय पंक्ति अतुकांत (22222)
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
20-06-19
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