Monday, December 9, 2019

चौपाल (कुण्डलिया)

धोती कुर्ता पागड़ी, धवल धवल सब धार।
सुड़क रहे हैं चाय को, करते गहन विचार।।
करते गहन विचार, किसी की शामत आई।
बैठे सारे साथ, गाँव के बूढ़े भाई।।
झगड़े सब निपटाय, समस्या सब हल होती।
अद्भुत यह चौपाल, भेद जो सब ही धोती।।

बासुदेव अग्रवाल नमन
तिनसुकिया
29-06-18

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