8,8,8,8 अंत गुरु लघु हर यति समतुकांत।
जगत ये पारावार, फंस गया मझधार,
दिखे नहीं आर-पार, थाम प्रभु पतवार।
नहीं मैं समझदार, जानूँ नहीं व्यवहार,
कैसे करूँ मनुहार, करले तु अंगीकार।
चारों ओर भ्रष्टाचार, बढ़ गया दुराचार,
मच गया हाहाकार, धारो अब अवतार।
छाया घोर अंधकार, प्रभु कर उपकार,
करके तु एकाकार, करो मेरा बेड़ा पार।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
13-05-17
जगत ये पारावार, फंस गया मझधार,
दिखे नहीं आर-पार, थाम प्रभु पतवार।
नहीं मैं समझदार, जानूँ नहीं व्यवहार,
कैसे करूँ मनुहार, करले तु अंगीकार।
चारों ओर भ्रष्टाचार, बढ़ गया दुराचार,
मच गया हाहाकार, धारो अब अवतार।
छाया घोर अंधकार, प्रभु कर उपकार,
करके तु एकाकार, करो मेरा बेड़ा पार।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
13-05-17
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