Friday, October 25, 2019

गीता महिमा (कुण्डलिया)

गीता अद्भुत ग्रन्थ है, काटे भव की दाह।
ज्ञान अकूत भरा यहाँ, जिसकी कोइ न थाह।
जिसकी कोइ न थाह, लगाओ जितना गोता।
कटे पाप की पाश, गात मन निर्मल होता।
कहे 'बासु' समझाय, ग्रन्थ यह परम पुनीता।
सब ग्रन्थों का सार, पढें सारे नित गीता।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
17-12-18

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