Thursday, October 10, 2019

सार छंद / ललितपद छंद 'विधान'

सार छंद / ललितपद छंद

सार छंद जो कि ललितपद छंद के नाम से भी जाना जाता है, चार पदों का अत्यंत गेय सम-पद मात्रिक छंद है। इस में प्रति पद 28 मात्रा होती है। यति 16 और 12 मात्रा पर है। दो दो पद समतुकान्त। 

मात्रा बाँट- 16 मात्रिक चरण ठीक चौपाई वाला और 12 मात्रा वाले चरण में तीन चौकल, एक चौकल और एक अठकल या एक अठकल और एक चौकल हो सकता है। 12 मात्रिक चरण का अंत गुरु या 2 लघु से होना आवश्यक है किन्तु गेयता के हिसाब से गुरु-गुरु से हुआ चरणान्त अत्युत्तम माना जाता है लेकिन ऐसी कोई अनिवार्यता भी नहीं है।

छन्न पकैया -  छन्न पकैया रूप सार छंद का एक और प्रारूप है जो कभी लोक-समाज में अत्यंत लोकप्रिय हुआ करता था। किन्तु अन्यान्य लोकप्रिय छंदों की तरह रचनाकारों के रचनाकर्म और उनके काव्य-व्यवहार का हिस्सा बना न रह सका। इस रूप में सार छंद के प्रथम चरण में ’छन्न-पकैया छन्न-पकैया’ लिखा जाता है और आगे छंद के सारे नियम पूर्ववत निभाये जाते हैं। 

’छन्न पकैया छन्न पकैया’ एक तरह से टेक हुआ करती है जो उस छंद के कहन के प्रति श्रोता-पाठक का ध्यान आकर्षित करती हुई एक माहौल बनाती है। इस में रचनाकार बात की बात में, कई बार गहरी बातें साझा कर जाते हैं।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया



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