Saturday, December 28, 2019

कहमुकरी (वाहन)

आता सीटी सा ये बजाता,
फिर नभ के गोते लगवाता,
मिटा दूरियाँ देता चैन,
क्या सखि साजन?ना सखि प्लैन।

सीटी बजा बढ़े ये आगे,
पहले धीरे फिर ये भागे,
इससे जीवन के सब खेल,
क्या सखि साजन? ना सखि रेल।

इसको ले बन ठन कर जाऊँ,
मन में फूली नहीं समाऊँ,
इस बिन मेरा सूना द्वार,
क्या सखि साजन? ना सखि कार।

वाहन ये जीवन का मेरा,
कहीं न लगता इस बिन फेरा,
सच्चा साथी रहता घुलमिल,
क्या सखि साजन? नहीं साइकिल।

रुक रुक मंजिल तय करता है,
पर हर दूरी को भरता है,
इस बिन हो न सकूँ मैं टस मस,
क्या सखि साजन? ना सखि ये बस।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
26-11-2018

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर रोचक कहमुकरी (वाहन)

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