ताटंक छंद सम पद मात्रिक छंद है। इस छंद में चार पद होते हैं, जिनमें प्रति पद 30 मात्राएँ होती हैं।
प्रत्येक पद दो विभाग में बंटा हुआ रहता है जिनकी यति 16-14 मात्रा पर निर्धारित होती है। अर्थात विषम चरण 16 मात्राओं का और सम चरण 14 मात्राओं का होता है। दो-दो पदों की तुकान्तता का नियम है।
प्रथम चरण यानि विषम चरण के अन्त को लेकर कोई विशेष आग्रह नहीं है। किन्तु, पदान्त तीन गुरुओं से होना अनिवार्य है। यानी सम चरण का अंत 3 गुरु से होना आवश्यक है।
16 मात्रिक वाले चरण का विधान और मात्रा बाँट ठीक चौपाई छंद वाला है। 14 मात्रिक चरण की अंतिम 6 मात्रा सदैव 3 गुरु होती है तथा बची हुई 8 मात्राएँ दो चौकल हो सकती हैं या फिर एक अठकल हो सकती है। चौकल और अठकल के सभी नियम लागू होंगे।
बासुदेव अग्रवाल नमन
तिनसुकिया