(मात्रा रहित रचना)
गजवदन-भजन अब मन कर।
सफल समस्त जन्म नर कर।।
गज-मस्तक पर सजत वक्र कर,
चरण खम्भ सम कमल-नयन वर,
वरद-हस्त हरपल रख सर पर।
गजवदन-भजन अब मन कर।
सफल समस्त जन्म नर कर।।
शन्कर-नन्दन कष्ट सब हरण,
प्रथम-नमन मम तव अर्पण,
भव-बन्धन-हरण सकल कर।
गजवदन-भजन अब मन कर।
सफल समस्त जन्म नर कर।।
डगर डगर भटकत भ्रमर-मन,
मद, मत्सर मध्य लगत यह तन,
वन्दन भक्त करत सन्कट हर।
गजवदन-भजन अब मन कर।
सफल समस्त जन्म नर कर।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
05-09-2016
गजवदन-भजन अब मन कर।
सफल समस्त जन्म नर कर।।
गज-मस्तक पर सजत वक्र कर,
चरण खम्भ सम कमल-नयन वर,
वरद-हस्त हरपल रख सर पर।
गजवदन-भजन अब मन कर।
सफल समस्त जन्म नर कर।।
शन्कर-नन्दन कष्ट सब हरण,
प्रथम-नमन मम तव अर्पण,
भव-बन्धन-हरण सकल कर।
गजवदन-भजन अब मन कर।
सफल समस्त जन्म नर कर।।
डगर डगर भटकत भ्रमर-मन,
मद, मत्सर मध्य लगत यह तन,
वन्दन भक्त करत सन्कट हर।
गजवदन-भजन अब मन कर।
सफल समस्त जन्म नर कर।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
05-09-2016
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