शिव बिन कौन सहारा मेरा।
आशुतोष तुम औघड़दानी, एक आसरा तेरा।।
मैं अनाथ हूँ निपट अकेला, चारों तरफ अँधेरा।
जीवन नौका डोल रही है, जगत भँवर ने घेरा।।
शिव बिन कौन सहारा मेरा।।
काम क्रोध का नाग हृदय में, डाले बैठा डेरा।
मैं अचेत हूँ मोह-निशा में, करदो ज्ञान-सवेरा।।
शिव बिन कौन सहारा मेरा।।
नित ही ध्यान हरे चंचल मन, ये तो बड़ा लुटेरा।
इसकी भटकन का तुम ही प्रभु, जल्दी करो निबेरा।।
शिव बिन कौन सहारा मेरा।।
हे शिव शंकर कृपा दृष्टि रख, मन में करो बसेरा।
शंभु मिटाओ 'बासुदेव' का, चौरासी का फेरा।।
शिव बिन कौन सहारा मेरा।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
1-09-17
आशुतोष तुम औघड़दानी, एक आसरा तेरा।।
मैं अनाथ हूँ निपट अकेला, चारों तरफ अँधेरा।
जीवन नौका डोल रही है, जगत भँवर ने घेरा।।
शिव बिन कौन सहारा मेरा।।
काम क्रोध का नाग हृदय में, डाले बैठा डेरा।
मैं अचेत हूँ मोह-निशा में, करदो ज्ञान-सवेरा।।
शिव बिन कौन सहारा मेरा।।
नित ही ध्यान हरे चंचल मन, ये तो बड़ा लुटेरा।
इसकी भटकन का तुम ही प्रभु, जल्दी करो निबेरा।।
शिव बिन कौन सहारा मेरा।।
हे शिव शंकर कृपा दृष्टि रख, मन में करो बसेरा।
शंभु मिटाओ 'बासुदेव' का, चौरासी का फेरा।।
शिव बिन कौन सहारा मेरा।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
1-09-17
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