बह्र: 122 122 122
मधुर मास सावन लगा है,
दिवस सोम पावन पड़ा है।
महादेव को सब रिझाएँ,
उसीका सभी आसरा है।
तेरा रूप सबसे निराला,
गले सर्प माथे जटा है।
सजे माथ चंदा ओ गंगा,
सवारी में नंदी सजा है।
कुसुम बिल्व चन्दन चढ़ाएँ,
ये शुभ फल का अवसर बना है।
शिवाले में अभिषेक जल से,
करें भक्त मोहक छटा है।
करें कावड़ें तुझको अर्पित,
सभी पुण्य पाते महा है।
करो पूर्ण आशा सभी शिव,
'नमन' हाथ जोड़े खड़ा है।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
10-07-2017
(भगवान शिव को अर्पित एक मुसलसल ग़ज़ल)
मधुर मास सावन लगा है,
दिवस सोम पावन पड़ा है।
महादेव को सब रिझाएँ,
उसीका सभी आसरा है।
तेरा रूप सबसे निराला,
गले सर्प माथे जटा है।
सजे माथ चंदा ओ गंगा,
सवारी में नंदी सजा है।
कुसुम बिल्व चन्दन चढ़ाएँ,
ये शुभ फल का अवसर बना है।
शिवाले में अभिषेक जल से,
करें भक्त मोहक छटा है।
करें कावड़ें तुझको अर्पित,
सभी पुण्य पाते महा है।
करो पूर्ण आशा सभी शिव,
'नमन' हाथ जोड़े खड़ा है।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
10-07-2017
(भगवान शिव को अर्पित एक मुसलसल ग़ज़ल)
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