ग़ज़ल (चहरे पे ये निखार)
बह्र:- 2122 1212 22/112
चहरे पे ये निखार किसका है?
आँखों में भी ख़ुमार किसका है?
जख्म दे छिप रहा जो, छोड़ उसे,
दिल के तीर_आर पार किसका है?
खायी चोटें ही दिल की सुन सुन के,
फिर बता एतबार किसका है?
सोचता हूँ मगर न लब खुलते,
मुझ पे इतना ये भार किसका है?
चूर सत्ता के मद में जो हैं सुनें,
बे-रहम वक़्त यार किसका है?
मैं जमाने से क्यों चुराऊँ नज़र,
मेरे सर पर उधार किसका है?
कोई बतला तो दे ख़ुदा के सिवा,
ये 'नमन' ख़ाकसार किसका है?
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
06-05-18
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