Monday, September 9, 2019

सरसी छंद / कबीर छंद 'विधान'

सरसी छंद / कबीर छंद

सरसी छंद जो कि कबीर छंद के नाम से भी जाना जाता है, चार पदों का सम-पद मात्रिक छंद है। इस में प्रति पद 27 मात्रा होती है। यति 16 और 11 मात्रा पर है अर्थात प्रथम चरण 16 मात्रा का तथा द्वितीय चरण 11 मात्रा का होता है। दो दो पद समतुकान्त। 

मात्रा बाँट-16 मात्रिक चरण ठीक चौपाई छंद वाला चरण और 11 मात्रा वाला ठीक दोहा छंद का सम चरण। छंद के 11 मात्रिक खण्ड की मात्रा बाँट अठकल+त्रिकल (ताल यानी 21) होती है। सुमंदर छंद के नाम से भी यह छंद जाना जाता है।

एक स्वरचित पूर्ण सूर्य ग्रहण के वर्णन का उदाहरण देखें।

हीरक जड़ी अँगूठी सा ये, लगता सूर्य महान।
अंधकार में डूब गया है, देखो आज जहान।।
पूर्ण ग्रहण ये सूर्य देव का, दुर्लभ अति अभिराम।
दृश्य प्रकृति का अनुपम अद्भुत, देखो मन को थाम।।

बासुदेव अग्रवाल नमन
तिनसुकिया


1 comment:

  1. कुछ और भी नियम होते हैं क्या जैसे अंत मे क्या आएगा दोहों की तरह गुरु लघु या कुछ और.... कृपया बताएं

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