बह्र:- 2122*3
देश के गद्दार जो पहचान लो सब,
उनके मंसूबों की फ़ितरत जान लो सब।
जब भी छेड़े देश का इतिहास कोई,
चुप न बैठो बात का संज्ञान लो सब।
नाग कोई देश में गर फन उठाए,
उस को ठोकर से कुचल दें ठान लो सब।
देश से बढ़कर नहीं कोई जहाँ में,
दिल की गहराई से इसको मान लो सब।
सिंह सी हुंकार भर जागो जवानों,
देख कर दुश्मन को सीना तान लो सब।
दुश्मनों को देश के करने उजागर,
देश का प्रत्येक कोना छान लो सब।
देश को हम नित 'नमन' कर मान देवें,
भारती माँ से यही वरदान लो सब।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
31-01-2017
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