बह्र:- 2122*3 2
जो मुसीबत में किसी के काम आता है,
सबसे पहले उसका दिल में नाम आता है।
टूट गर हर आस जाए याद हरदम रख,
अंत में तो काम केवल राम आता है।
मात के दरबार में नर सोच के ये जा,
माँ-कृपा जिस पे हो माँ के धाम आता है।
दुख का आना सुख का जाना ठीक वैसे ही,
ज्यों अँधेरा दिन ढ़ले हर शाम आता है।
जो ख़ुदा पे रख भरौसा ज़िंदगी जीता,
उसको ही अल्लाह का इलहाम आता है।
राह सच्चाई की चुन ली अब किसे परवाह,
सर पे किसका कौनसा इल्ज़ाम आता है।
गर समझते हो 'नमन' ये काम है अच्छा,
क्यों हो फिर ये फ़िक्र क्या परिणाम आता है
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
20-12-2018
(धुन- बस यही अपराध मैं हर बार)
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