Thursday, September 12, 2019

सायली (मजदूर)

ईंट,
गारा, पत्थर।
सर पे ढोता
भारत का
मज़दूर।।
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मजदूर
हमें देने
सर पे छत
खुद रहता
बेछत।।
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मजदूर
उत्पादन- जनक,
बेटी का बाप
जैसा कोई
मजबूर।।
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मजदूर
कारखानों में
मसीनों संग पिसता,
चूर चूर
होता।
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श्रमिक
श्रम करता
पसीने से सींचता
नव निर्माण
खेती
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
15-09-17

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