चंदा चित्त चुरावत है।
नैना नीर बहावत है।।
प्यासी प्रीत अतृप्त दहे।
प्यारा प्रीतम दूर रहे।।
ये भृंगी मन गूँजत है।
रो रो पीड़ सुनावत है।।
माला नित्य जपूँ पिय की।
भूली मैं सुध ही जिय की।।
रातें काट न मैं सकती।
तारों को नभ में तकती।।
बारंबार फटे छतिया।
है ये व्याकुल बावरिया।।
आँसू धार लिखी पतिया।
भेजूँ साजन लो सुधिया।।
चीखों की कुछ तो धुन ले।
निर्मोही सजना सुन ले।।
===========
लक्षण छंद:-
"मासासा" नव अक्षर लें।
प्यारी 'रत्नकरा' रस लें।।
"मासासा" = मगण सगण सगण
( 222 112 112 )
9वर्ण, 4 चरण,
दो-दो चरण समतुकांत।
****************
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
25-01-19
नैना नीर बहावत है।।
प्यासी प्रीत अतृप्त दहे।
प्यारा प्रीतम दूर रहे।।
ये भृंगी मन गूँजत है।
रो रो पीड़ सुनावत है।।
माला नित्य जपूँ पिय की।
भूली मैं सुध ही जिय की।।
रातें काट न मैं सकती।
तारों को नभ में तकती।।
बारंबार फटे छतिया।
है ये व्याकुल बावरिया।।
आँसू धार लिखी पतिया।
भेजूँ साजन लो सुधिया।।
चीखों की कुछ तो धुन ले।
निर्मोही सजना सुन ले।।
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लक्षण छंद:-
"मासासा" नव अक्षर लें।
प्यारी 'रत्नकरा' रस लें।।
"मासासा" = मगण सगण सगण
( 222 112 112 )
9वर्ण, 4 चरण,
दो-दो चरण समतुकांत।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
25-01-19
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