Sunday, September 15, 2019

वागीश्वरी सवैया

(122×7  +  12)

दया का महामन्त्र धारो मनों में, दया से सभी को लुभाते चलो।
न हो भेद दुर्भाव कैसा किसी से, सभी को गले से लगाते चलो।
दयाभूषणों से सभी प्राणियों के, उरों को सदा ही सजाते चलो।
दुखाओ दिलों को न थोड़ा किसी के,  दया की सुधा को बहाते चलो।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
25-10-16

No comments:

Post a Comment