(122×7 + 12)
दया का महामन्त्र धारो मनों में, दया से सभी को लुभाते चलो।
न हो भेद दुर्भाव कैसा किसी से, सभी को गले से लगाते चलो।
दयाभूषणों से सभी प्राणियों के, उरों को सदा ही सजाते चलो।
दुखाओ दिलों को न थोड़ा किसी के, दया की सुधा को बहाते चलो।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
25-10-16
दया का महामन्त्र धारो मनों में, दया से सभी को लुभाते चलो।
न हो भेद दुर्भाव कैसा किसी से, सभी को गले से लगाते चलो।
दयाभूषणों से सभी प्राणियों के, उरों को सदा ही सजाते चलो।
दुखाओ दिलों को न थोड़ा किसी के, दया की सुधा को बहाते चलो।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
25-10-16
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