चूड़ी की खन खन में,
सावन आया है,
प्रियतम ही तन-मन में।
झूला झूलें सखियाँ,
याद दिलाएं ये,
गाँवों की वे बगियाँ।
गलियों से बचपन की,
सावन आ, खोया,
चाहत में साजन की।
आँख-मिचौली करता।
चंदा बादल से,
दृश्य हृदय ये हरता।
छत से उतरा सावन,
याद लिये पिय की,
मन-आंगन हरषावन।
मोर पपीहा की धुन,
सावन ले आयी,
मन में करती रुन-झुन।
झर झर झरतीं आँखें,
सावन लायीं हैं।
पिय-रट की दें पाँखें।
सावन आया है,
प्रियतम ही तन-मन में।
झूला झूलें सखियाँ,
याद दिलाएं ये,
गाँवों की वे बगियाँ।
गलियों से बचपन की,
सावन आ, खोया,
चाहत में साजन की।
आँख-मिचौली करता।
चंदा बादल से,
दृश्य हृदय ये हरता।
छत से उतरा सावन,
याद लिये पिय की,
मन-आंगन हरषावन।
मोर पपीहा की धुन,
सावन ले आयी,
मन में करती रुन-झुन।
झर झर झरतीं आँखें,
सावन लायीं हैं।
पिय-रट की दें पाँखें।
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प्रथम और तृतीय पंक्ति तुकांत (222222)
द्वितीय पंक्ति अतुकांत (22222)
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
23-06-19
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