5-7-5 वर्ण
आँख में फूल,
तलवे में कंटक,
प्रेम-डगर।
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मुख पे हँसी,
हृदय में क्रंदन,
विरही मन।
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बसो तो सही,
स्वप्न साबित हुये,
तो चले जाना।
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आँख में फूल,
तलवे में कंटक,
प्रेम-डगर।
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मुख पे हँसी,
हृदय में क्रंदन,
विरही मन।
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बसो तो सही,
स्वप्न साबित हुये,
तो चले जाना।
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आज का स्नेह
उफनता सागर
तृषित देह।
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शब्द-बदली
काव्य-धरा बरसी
कविता खिली।
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मानव-भीड़
उजड़ गये नीड़
खगों की पीड़।
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तृण सजाते
खग नीड़ बनाते
नर ढहाते।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
12-09-19
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