Sunday, November 10, 2019

सोरठा छंद 'विधान'

सोरठा छंद

दोहा छंद की तरह सोरठा छंद भी अर्ध सम मात्रिक छंद है। इसमें भी चार चरण होते हैं। प्रथम व तृतीय चरण विषम तथा द्वितीय व चतुर्थ चरण सम कहे जाते हैं। सोरठा में दोहा की तरह दो पंक्तियाँ होती हैं और प्रत्येक पंक्ति में २४ मात्राएँ होती हैं। सोरठा छंद और दोहा छंद के विधान में कोई अंतर नहीं है केवल चरण पलट जाते हैं। दोहा के सम चरण सोरठा में विषम बन जाते हैं और दोहा के विषम चरण सोरठा के सम। तुकांतता भी वही रहती है। यानी सोरठा छंद में विषम चरण में तुकांतता निभाई जाती है जबकि पंक्ति के अंत के सम चरण अतुकांत रहते हैं।

दोहा छंद और सोरठा छंद में मुख्य अंतर गति तथा यति में है। दोहा में 13-11 पर यति होती है जबकि सोरठा छंद में 11 - 13 पर यति होती है। यति में अंतर के कारण गति में भी भिन्नता रहती है।

मात्रा बाँट प्रति पंक्ति
8+2+1, 8+2+1+2

परहित कर विषपान, महादेव जग के बने।
सुर नर मुनि गा गान, चरण वंदना नित करें।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया

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