Thursday, November 14, 2019

मुक्तक (राजनैतिक व्यंग)

एक राजनैतिक व्यंग मुक्तक

भारत के जब से वित्त मंत्री श्री जेटली।
तुगलकी फरमानों की नित खुलती पोटली।
मोदीजी इनसे बचके रहें आप तो जरा।
पकड़ा न दें ये चाय की वो फिर से केटली।।

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(चीन पर व्यंग)

सामान बेचते हो आँख भी दिखा रहे।
फूटी किस्मत में चीन धूल क्यों लिखा रहे।
ग्राहक भगवान का ही दूसरा है रूप।
व्यापार की ये रीत तुझे हम सिखा रहे।।

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(राहुल गांधी की हार पर व्यंग)

हार क्यों मेरी हुई यह सोच मैं हलकान हूँ,
कैसे चौकीदार अंकल जीता मैं अनजान हूँ,
लोग क्यों पप्पू मुझे कहते इसे समझा नहीं,
माँ बता दे तू मुझे क्या मैं अभी नादान हूँ।

(2122*3+212)
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
25-05-19

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