बहरे मीर:- 2*6
दुनिया है अलबेली,
ये अनबूझ पहेली।
कड़वा जगत-करेला,
रस लो तो गुड़-भेली।
गले लगा या ठुकरा,
पर मत कर अठखेली।
किस्मत भोज बनाये,
या फिर गंगू तेली।
नेता आज छछूंदर,
सर पे मले चमेली।
आराजक बन छाये,
सत्ता जिनकी चेली।
'नमन' उठा सर जीओ,
दुनिया बना सहेली।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
31-08-19
दुनिया है अलबेली,
ये अनबूझ पहेली।
कड़वा जगत-करेला,
रस लो तो गुड़-भेली।
गले लगा या ठुकरा,
पर मत कर अठखेली।
किस्मत भोज बनाये,
या फिर गंगू तेली।
नेता आज छछूंदर,
सर पे मले चमेली।
आराजक बन छाये,
सत्ता जिनकी चेली।
'नमन' उठा सर जीओ,
दुनिया बना सहेली।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
31-08-19
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