7 भगण (211) की आवृत्ति के बाद 2 गुरु
भष्म रमाय रहे तन में प्रभु, चन्द्र बसे सज माथ तिहारे।
वीर षडानन मूषक वाहन, बन्धुन के तुम तात दुलारे।
पावन गंग सजे सर ऊपर, भाल त्रिपुण्ड सदैव सँवारे।
शंकर नाथ अनाथन के तुम, दीनन के तुम एक सहारे।
बासुदेव अग्रवाल नमन
तिनसुकिया
25-07-17
भष्म रमाय रहे तन में प्रभु, चन्द्र बसे सज माथ तिहारे।
वीर षडानन मूषक वाहन, बन्धुन के तुम तात दुलारे।
पावन गंग सजे सर ऊपर, भाल त्रिपुण्ड सदैव सँवारे।
शंकर नाथ अनाथन के तुम, दीनन के तुम एक सहारे।
बासुदेव अग्रवाल नमन
तिनसुकिया
25-07-17
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