सत्ता का यज्ञ
यजमान हैं विज्ञ
पुरोधा अज्ञ।
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यजमान हैं विज्ञ
पुरोधा अज्ञ।
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सत्ता-मिलिंद
पी स्वार्थी मकरंद
हुआ स्वच्छंद।
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नेता हैं चोर
जनता करे शोर
तंत्र का जोर।
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जनता ताके
बैठी बगलें झाँके
कुर्सी दे फाके
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लोक सेवक
जनता का शोषक
स्वयं पोषक।
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अंगुल पांच
सियासत का हाथ
सब समान।
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गायों की रोटी
बन्दरों हाथ पड़ी
कुत्तों में बँटी।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
19-06-19
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