राधेश्यामी छंद / मत्त सवैया
हर दल जो टुकड़ा टुकड़ा था, इस बार चुनावों ने छाँटा;
बाहर निकाल उसको फेंका, ज्यों चुभा हुआ हो वो काँटा;
जो अपनी अपनी डफली पर, बस राग स्वार्थ का गाते थे;
उस भ्रष्ट तंत्र के गालों पर, जनता ने मारा कस चाँटा।
इस बार विरोधी हर दल ने, ऐसा भारी झेला घाटा;
चित चारों खाने सभी हुए, हर ओर गया छा सन्नाटा।
जन-तंत्र-यज्ञ की वेदी में, उन सबकी आहुति आज लगी;
वे राजनीति को हाथ हिला, जल्दी करने वाले टा टा।
भारत में नव-उत्साह जगा, रिपु के घर में क्रंदन होगा;
बन विश्व-शक्ति उभरेंगे हम, जग भर में अब वंदन होगा;
हे मोदी! तुम कर्मठ नरवर, गांधी की पुण्य धरा के हो;
अब ओजपूर्ण नेतृत्व तले, भारत का अभिनंदन होगा।
तुम राष्ट्र-प्रेरणा के नायक, तुम एक सूत्र के दायक हो;
जो सकल विश्व को बेध सके, वैसे अमोघ तुम सायक हो;
भारत भू पर अवतरित हुये, ये भाग्य हमारा आज प्रबल;
तुम धीर वीर तुम शक्ति-पुंज, तुम जन जन के अधिनायक हो।
बाहर निकाल उसको फेंका, ज्यों चुभा हुआ हो वो काँटा;
जो अपनी अपनी डफली पर, बस राग स्वार्थ का गाते थे;
उस भ्रष्ट तंत्र के गालों पर, जनता ने मारा कस चाँटा।
इस बार विरोधी हर दल ने, ऐसा भारी झेला घाटा;
चित चारों खाने सभी हुए, हर ओर गया छा सन्नाटा।
जन-तंत्र-यज्ञ की वेदी में, उन सबकी आहुति आज लगी;
वे राजनीति को हाथ हिला, जल्दी करने वाले टा टा।
भारत में नव-उत्साह जगा, रिपु के घर में क्रंदन होगा;
बन विश्व-शक्ति उभरेंगे हम, जग भर में अब वंदन होगा;
हे मोदी! तुम कर्मठ नरवर, गांधी की पुण्य धरा के हो;
अब ओजपूर्ण नेतृत्व तले, भारत का अभिनंदन होगा।
तुम राष्ट्र-प्रेरणा के नायक, तुम एक सूत्र के दायक हो;
जो सकल विश्व को बेध सके, वैसे अमोघ तुम सायक हो;
भारत भू पर अवतरित हुये, ये भाग्य हमारा आज प्रबल;
तुम धीर वीर तुम शक्ति-पुंज, तुम जन जन के अधिनायक हो।
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