Tuesday, July 16, 2019

मलयज छंद "प्रभु-गुण"

सुन मन-मधुकर।
मत हिय मद भर।।
करत कलुष डर।
हरि गुण उर धर।।

सरस अमिय सम।
प्रभु गुण हरदम।।
मन हरि मँह रम।
हर सब भव तम।।

मन बहुत विकल।
हलचल प्रतिपल।।
पड़त न कछु कल।
हरि-दरशन हल।।

प्रभु-शरण लखत।
यह सर अब नत।।
तव चरण पड़त।
रख नटवर पत।।
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लक्षण छंद:-

"ननलल" लघु सब।
'मलयज' रच तब।

 "ननलल" = नगण नगण लघु लघु।
8 लघु, 4चरण समतुकांत
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
19-01-17

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