सुन मन-मधुकर।
मत हिय मद भर।।
करत कलुष डर।
हरि गुण उर धर।।
सरस अमिय सम।
प्रभु गुण हरदम।।
मन हरि मँह रम।
हर सब भव तम।।
मन बहुत विकल।
हलचल प्रतिपल।।
पड़त न कछु कल।
हरि-दरशन हल।।
प्रभु-शरण लखत।
यह सर अब नत।।
तव चरण पड़त।
रख नटवर पत।।
=============
लक्षण छंद:-
"ननलल" लघु सब।
'मलयज' रच तब।
"ननलल" = नगण नगण लघु लघु।
8 लघु, 4चरण समतुकांत
******************
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
19-01-17
मत हिय मद भर।।
करत कलुष डर।
हरि गुण उर धर।।
सरस अमिय सम।
प्रभु गुण हरदम।।
मन हरि मँह रम।
हर सब भव तम।।
मन बहुत विकल।
हलचल प्रतिपल।।
पड़त न कछु कल।
हरि-दरशन हल।।
प्रभु-शरण लखत।
यह सर अब नत।।
तव चरण पड़त।
रख नटवर पत।।
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लक्षण छंद:-
"ननलल" लघु सब।
'मलयज' रच तब।
"ननलल" = नगण नगण लघु लघु।
8 लघु, 4चरण समतुकांत
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
19-01-17
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