सितम यूँ खूब ढ़ा लो।
या फिर तुम मार डालो।
मगर मुझ से जरा तुम।
मुहब्बत तो बढ़ालो।।
***
दुआ रब की तो पा लो।
बसर अजमेर चालो।
तमन्ना औलिया की।
जरा मन में तो पालो।।
***
अरी ओ सुन जमालो,
मुझे तुम आजमा लो,
ठिकाना अब तेरा तू,
मेरे दिल पे जमा लो।
***
ये ऊँचे ख्वाब ना लो।
जमीं पे पाँ टिका लो।
अरे छोड़ो भी ये जिद।
मुझे अपना बना लो।।
***
खरा सौदा पटा लो।
दया मन में बसा लो।
गरीबों की दुआ से।
सभी संताप टालो।।
***
तराने आज गा लो।
सभी को तुम रिझा लो।
जो सोयें हैं उन्हें भी।
खुशी से तुम जगा लो।।
***
1222 122
(काफ़िया=आ; रदीफ़=लो)
**********
सड़न से नाक फटती, हुई सब जाम नाली;
यहाँ रहना है दूभर, सजन अब चल मनाली;
किसी दूजी जगह का, कभी भी नाम ना ली;
खफ़ा होना वहाँ ना, यहाँ तो मैं मना ली।
(1222 122)*2
**********
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
10-10-17
या फिर तुम मार डालो।
मगर मुझ से जरा तुम।
मुहब्बत तो बढ़ालो।।
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दुआ रब की तो पा लो।
बसर अजमेर चालो।
तमन्ना औलिया की।
जरा मन में तो पालो।।
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अरी ओ सुन जमालो,
मुझे तुम आजमा लो,
ठिकाना अब तेरा तू,
मेरे दिल पे जमा लो।
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ये ऊँचे ख्वाब ना लो।
जमीं पे पाँ टिका लो।
अरे छोड़ो भी ये जिद।
मुझे अपना बना लो।।
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खरा सौदा पटा लो।
दया मन में बसा लो।
गरीबों की दुआ से।
सभी संताप टालो।।
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तराने आज गा लो।
सभी को तुम रिझा लो।
जो सोयें हैं उन्हें भी।
खुशी से तुम जगा लो।।
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1222 122
(काफ़िया=आ; रदीफ़=लो)
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सड़न से नाक फटती, हुई सब जाम नाली;
यहाँ रहना है दूभर, सजन अब चल मनाली;
किसी दूजी जगह का, कभी भी नाम ना ली;
खफ़ा होना वहाँ ना, यहाँ तो मैं मना ली।
(1222 122)*2
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
10-10-17
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