Saturday, July 20, 2019

मुक्तक (ढोंगी बाबाओं पर व्यंग)

काम क्रोध के भरे पिटारे, कलियुग के ये बाबा,
गये बेच खा मन्दिर मस्ज़िद, काशी हो या काबा,
चकाचौंध इनकी झूठी है, बचके रहना इनसे,
भोले भक्तों को ठगने का, सारा शोर शराबा।

सार छंद आधारित
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लिप्त रहो जग के कर्मों में, ये कैसा सन्यास बता,
भगवा धारण करने से नहिं, आत्म-शुद्धि का चले पता,
राजनीति आश्रम से करते, चंदे का व्यापार चले,
मन की तृप्त न हुई कामना, त्यागी से क्यों रहे जता।

लावणी छंद आधारित
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(राम रहीम पर व्यंग)

'अड्डा झूठा कोठा' खोला, ढोंगी काम-कमीन,
'शैतानों का दूत' भूत सा, कुत्सित कीट मलीन,
जग आगे बेटी जो कन्या, राखै बना रखैल,
कारागृह में भेजें इसको, संपद सारी छीन।

सरसी छंद आधारित
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
25-05-19

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