बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है।
किसी पत्थर की मूरत से महोब्बत का इरादा है।
भरी दुनियां में आके दिल को समझाने कहाँ जाएँ।
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों।
ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर , कि तुम नाराज न होना।
कभी पलकों में आंसू हैं कभी लब पे शिकायत है।
ख़ुदा भी आस्मां से जब ज़मीं पर देखता होगा।
ज़रा नज़रों से कह दो जी निशाना चूक न जाए।
मुहब्बत ही न समझे वो जालिम प्यार क्या जाने।
हजारों ख्वाहिशें इतनी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले।
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं।
मुहब्बत हो गई जिनको वो परवाने कहाँ जाएँ।
मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता।
कभी तन्हाईयों में भी हमारी याद आएगी।
परस्तिश की तमन्ना है, इबादत का इरादा है।
किसी पत्थर की मूरत से महोब्बत का इरादा है।
भरी दुनियां में आके दिल को समझाने कहाँ जाएँ।
चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों।
ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर , कि तुम नाराज न होना।
कभी पलकों में आंसू हैं कभी लब पे शिकायत है।
ख़ुदा भी आस्मां से जब ज़मीं पर देखता होगा।
ज़रा नज़रों से कह दो जी निशाना चूक न जाए।
मुहब्बत ही न समझे वो जालिम प्यार क्या जाने।
हजारों ख्वाहिशें इतनी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले।
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं।
मुहब्बत हो गई जिनको वो परवाने कहाँ जाएँ।
मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता।
कभी तन्हाईयों में भी हमारी याद आएगी।
परस्तिश की तमन्ना है, इबादत का इरादा है।
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