अग्रसेन नृपराज, सूर्यवंशी अवतारी।
विप्र धेनु सुर संत, सभी के थे हितकारी।
द्वापर का जब अंत, धरा पर हुआ अवतरण।
भागमती प्रिय मात, पिता वल्लभ के भूषण।
नागवंश की माधवी, इन्हें स्वयंवर में वरी।
अग्रोहा तब नव बसा, झोली माँ लक्ष्मी भरी।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
20-04-18
विप्र धेनु सुर संत, सभी के थे हितकारी।
द्वापर का जब अंत, धरा पर हुआ अवतरण।
भागमती प्रिय मात, पिता वल्लभ के भूषण।
नागवंश की माधवी, इन्हें स्वयंवर में वरी।
अग्रोहा तब नव बसा, झोली माँ लक्ष्मी भरी।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
20-04-18
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