Saturday, June 22, 2019

माहिया (कुड़िये)

कुड़िये कर कुड़माई,
बहना चाहे हैं,
प्यारी सी भौजाई।

धो आ मुख को पहले,
बीच तलैया में,
फिर जो मन में कहले।।

गोरी चल लुधियाना,
मौज मनाएँगे,
होटल में खा खाना।

नखरे भारी मेरे,
रे बिक जाएँगे,
कपड़े लत्ते तेरे।।

ले जाऊँ अमृतसर,
सैर कराऊँगा,
बग्गी में बैठा कर।

तुम तो छेड़ो कुड़ियाँ,
पंछी बिणजारा,
चलता बन अब मुँडियाँ।।

नखरे हँस सह लूँगा,
हाथ पकड़ देखो,
मैं आँख बिछा दूँगा।

दिलवाले तो लगते,
चल हट लाज नहीं,
पहले घर में कहते।।

**************
प्रथम और तृतीय पंक्ति तुकांत (222222)
द्वितीय पंक्ति अतुकांत (22222)
**************
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
14-12-16

No comments:

Post a Comment