बहर:- 2122 2122 2122 212
पास रहके भी हमीं से दूर कितने तुम रहे।
जान लेलो पर हमें यूँ ना सताओ बिन कहे।।
जो न आते पास तुम तो ना तड़पते रात दिन।
आग ना लगती दिलों में बेवजह या बात बिन।
ग़म भला क्योंकर के कोई बिन खता के यूँ सहे।।
पास रहके भी हमीं से दूर कितने तुम रहे।।
जिंदगी उलझी हमारी इंतज़ारों में अटक।
मंजिलें सारी खतम है राह में तेरी भटक।
प्यार की धारा में यारा हम सदा यूँ ही बहे।।
पास रहके भी हमीं से दूर कितने तुम रहे।।
जो बने उम्मीद के थे आशियाँ जुड़ जुड़ कभी।
सुनहरे सपने सजाये उन घरों में चुन सभी।
जान पाये हम कभी ना सब घरौंदे कब ढ़हे।।
पास रहके भी हमीं से दूर कितने तुम रहे।।
राख बनता जा रहा है दिल हमारा अब सनम।
जब मिलन होगा हमारा बच गये कितने जनम।
देख सकते देख लो तुम दिल सदा धू धू दहे।।
पास रहके भी हमीं से दूर कितने तुम रहे।।
एक ही बच अब गया है जिंदगी का रास्ता।
आँख ना हमसे चुराना दे रही हूँ वास्ता।
आस बाकी उन पलों की हाथ कोई जब गहे।।
पास रहके भी हमीं से दूर कितने तुम रहे।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
18-07-16
पास रहके भी हमीं से दूर कितने तुम रहे।
जान लेलो पर हमें यूँ ना सताओ बिन कहे।।
जो न आते पास तुम तो ना तड़पते रात दिन।
आग ना लगती दिलों में बेवजह या बात बिन।
ग़म भला क्योंकर के कोई बिन खता के यूँ सहे।।
पास रहके भी हमीं से दूर कितने तुम रहे।।
जिंदगी उलझी हमारी इंतज़ारों में अटक।
मंजिलें सारी खतम है राह में तेरी भटक।
प्यार की धारा में यारा हम सदा यूँ ही बहे।।
पास रहके भी हमीं से दूर कितने तुम रहे।।
जो बने उम्मीद के थे आशियाँ जुड़ जुड़ कभी।
सुनहरे सपने सजाये उन घरों में चुन सभी।
जान पाये हम कभी ना सब घरौंदे कब ढ़हे।।
पास रहके भी हमीं से दूर कितने तुम रहे।।
राख बनता जा रहा है दिल हमारा अब सनम।
जब मिलन होगा हमारा बच गये कितने जनम।
देख सकते देख लो तुम दिल सदा धू धू दहे।।
पास रहके भी हमीं से दूर कितने तुम रहे।।
एक ही बच अब गया है जिंदगी का रास्ता।
आँख ना हमसे चुराना दे रही हूँ वास्ता।
आस बाकी उन पलों की हाथ कोई जब गहे।।
पास रहके भी हमीं से दूर कितने तुम रहे।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
18-07-16
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