32 मात्रिक छंद विधान -
32 मात्रिक छंद चार पदों का सम मात्रिक छंद है जो ठीक चौपाई का ही द्विगुणित रूप है। इन 32 मात्रा में 16, 16 मात्रा पर यति होती है तथा दो दो पदों में पदान्त तुक मिलाई जाती है। 16 मात्रा के चरण का विधान ठीक चौपाई छंद वाला ही है। यह राधेश्यामी छंद से अलग है। राधेश्यामी छंद के 16 मात्रिक चरण का प्रारंभ त्रिकल से नहीं हो सकता उसमें प्रारंभ में द्विकल होना आवश्यक है जबकि 32 मात्रिक छंद में ऐसी बाध्यता नहीं है।
समान सवैया / सवाई छंद विधान -
इस छंद के अंत में जब भगण (211) रखने की अनिवार्यता रहती है तो यह समान सवैया या सवाई छंद के नाम से जाना जाता है।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया
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