Saturday, April 27, 2019

मनहरण घनाक्षरी 'भारत महिमा"

उत्तर बिराज कर, गिरिराज रखे लाज,
तुंग श्रृंग रजत सा, मुकुट सजात है।

तीन ओर पारावार, नहीं छोर नहीं पार,
मारता हिलोर भारी, चरण धुलात है।

जाग उठे तेरे भाग, गर्ज गंगा गाये राग,
तेरी इस शोभा आगे, स्वर्ग भी लजात है।

तुझ को 'नमन' मेरा, अमन का दूत तू है,
जग का चमन हिन्द, सब को रिझात है।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
15-12-16

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