बह्र:- 1222 1221
न हो अब यूँ खफ़ा दोस्त,
बता मेरी ख़ता दोस्त।
चलो अब मान जा दोस्त,
नहीं इतना सता दोस्त।
ज़रा भी है न बर्दाश्त,
तेरा ये फ़ासला दोस्त।
तेरे बिन रुक गये बोल,
तु ही मेरी सदा दोस्त
नहीं जब तू मेरे पास,
लगे सूनी फ़ज़ा दोस्त।
ये तुझ से ख़ल्क आबाद,
मेरी तुझ बिन कज़ा दोस्त।
फ़लक पे जब तलक चाँद,
'नमन' का आसरा दोस्त।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
20-10-17
न हो अब यूँ खफ़ा दोस्त,
बता मेरी ख़ता दोस्त।
चलो अब मान जा दोस्त,
नहीं इतना सता दोस्त।
ज़रा भी है न बर्दाश्त,
तेरा ये फ़ासला दोस्त।
तेरे बिन रुक गये बोल,
तु ही मेरी सदा दोस्त
नहीं जब तू मेरे पास,
लगे सूनी फ़ज़ा दोस्त।
ये तुझ से ख़ल्क आबाद,
मेरी तुझ बिन कज़ा दोस्त।
फ़लक पे जब तलक चाँद,
'नमन' का आसरा दोस्त।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
20-10-17
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