बह्र:- 1222 122
अगर तुम पास होते,
सुखद आभास होते।
जो हँस के टालते ग़म,
तो क्यों फिर_उदास होते।
न रखते मन में चिंता,
बड़े बिंदास होते।
अगर हो प्रेम सच्चा,
अडिग विश्वास होते।
लड़ें जो हक़ की खातिर,
सभी की आस होते।
रहें डूबे जो मय में,
नशे के दास होते।
भला सोचें जो सब का,
'नमन' वे खास होते।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
19-10-17
अगर तुम पास होते,
सुखद आभास होते।
जो हँस के टालते ग़म,
तो क्यों फिर_उदास होते।
न रखते मन में चिंता,
बड़े बिंदास होते।
अगर हो प्रेम सच्चा,
अडिग विश्वास होते।
लड़ें जो हक़ की खातिर,
सभी की आस होते।
रहें डूबे जो मय में,
नशे के दास होते।
भला सोचें जो सब का,
'नमन' वे खास होते।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
19-10-17
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