Saturday, April 27, 2019

मनहरण घनाक्षरी "समाज-सेवी"

करे खुद विष-पान, रखके सभी का मान,
रखता समाज को जो, हरदम जोड़ के।

सब को ले साथ चले, नहीं भेदभाव रखे,
एकता में बाँध रखे, बिन तोड़-फोड़ के।

थोथी बातें नहीं करे, सदा खुद आगे आये,
बने वो उदाहरण, रूढ़ियों को तोड़ के।

सर पे बिठाते लोग, ऐसे कर्मवीर को जो,
करता समाज-सेवा, स्वार्थ सब छोड़ के।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
10-11-17

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